यूपी: गर्मी में बढ़ सकती है मध्यांचल के बिजली उपभोक्ताओं की मुसीबत

प्रदेश में लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक सिर्फ 39.77 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले गए हैं। इस मामले में अभी तक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम फिसड्डी है। यहां सिर्फ 8.98 फीसदी ही ट्रांसफार्मर बदले गए हैं। ऐसे में गर्मी के दौरान बिजली उपभोक्ताओं की मुसीबत बढ़नी तय है। जबकि पश्चिमांचल अव्वल साबित हुआ है।

पूर्वांचल और दक्षिणांचल की स्थिति भी संतोषजनक है। अनुरक्षण माह की रिपोर्ट सामने आने के बाद पावर कारपोरेशन में हलचल मची है। संबंधित डिस्कॉम को सचेत करते हुए जल्द से जल्द लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

प्रदेश में पिछले वर्ष एक दिन में बिजली आपूर्ति का रिकार्ड 28,284 मेगावाट का था। इस वर्ष यह करीब 30 हजार मेगावाट पहुंच सकता है। ऐसे में बिजली आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए फरवरी में अनुरक्षण माह मनाया गया। इस माह में ट्रांसफार्मर से लेकर तार बदलने तक के कार्य के लक्ष्य तय किए गए।

माह पूरा होने के बाद कार्यों की स्थिति जांची गई तो हालात चौकाने वाले मिले। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम को 2,15,268 ट्रांसफार्मर बदलने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन यहां 19,322 ट्रांसफार्मर ही बदले जा सके हैं। यह लक्ष्य का सिर्फ 8.98 फीसदी है। इसी तरह पश्चिमांचल में लक्ष्य के सापेक्ष सर्वाधिक 86.81 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले गए हैं।

दक्षिणांचल में 75.8 फीसदी और पूर्वांचल में 72.8 फीसदी, केस्को में 65 फीसदी ट्रांसफार्मर बदलने में कामयाबी मिली है। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष गोयल का कहना है कि जहां लक्ष्य के सापेक्ष कार्य नहीं हो पाए हैं, उसके कारणों की समीक्षा की जा रही है। सभी डिस्काम को मार्च माह में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्यों है ट्रांसफार्मर बदलने पर जोर
प्रदेश में 3.30 करोड़ उपभोक्ता हैं। पिछले वर्ष अप्रैल से जुलाई माह के बीच हर दिन करीब आठ सौ से एक हजार ट्रांसफार्मर फुंक रहे थे। इससे एक तरफ पावर कारपोरेशन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है तो दूसरी तरफ ट्रांसफार्मर फुंकने पर पूरे इलाके की बिजली आपूर्ति बाधित होती है।

औसत विद्युत आपूर्ति की दर भी घट जाती है। इसका असर प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत पर पड़ता है। अभी उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत प्रति वर्ष 629 प्रति यूनिट से 650 प्रति यूनिट के बीच है। यही वजह है कि ट्रांसफार्मर जलने पर 24 घंटे के अंदर बदलना अनिवार्य कर दिया गया है।

ऊर्जा मंत्री के साथ ही पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष गोयल का सबसे ज्यादा जोर ट्रांसफार्मर पर है। पिछले वर्ष ट्रांसफार्मर बार-बार फुंकने और बदलने में लापरवाही होने पर दर्जनभर अधीक्षण एवं सहायक अभियंताओं को निलंबित और अन्य तरह की कार्रवाई की गई थी।

जोनवार मध्यांचल की स्थिति
ट्रांसफार्मर बदलने की स्थिति जोनवार देखी जाए तो सबसे खराब हालत बरेली 2 की है। यहां 4.01 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले गए हैं। इसी तरह सीतापुर में 4.50 फीसदी, देवीपाटन में 7.76 फीसदी, बरेली 1 में 11.07, अयोध्या में 23.57 फीसदी, रायबरेली में 11.22 फीसदी, लेसा ट्रांस1 में सर्वाधिक 52.68 फीसदी, लेसा सिस1 में 25.51 फीसदी, लेसा सिस 2 में 9.33 फीसदी ट्रांसफार्मर लगे हैं।

पूर्वांचल व पश्चिमांचल की स्थिति
पूर्वांचल में गोरखपुर जोन 1 में 91.50 फीसदी, गोरखपुर जोन 2 में 79.50 फीसदी, वाराणसी में सर्वाधिक 89 फीसदी, वाराणसी जोन 2 में 72.9 फीसदी, मिर्जापुर जोन में 75.8 फीसदी, प्रयागराज जोन1 में 84.10 फीसदी, प्रयागराज जोन 2 में 60.70 फीसदी, आजमगढ़ 55.2, बस्ती 82.60 फीसदी, दक्षिणांचल में आगरा में 70.6 फीसदी, फिरोजाबाद में 70.1 फीसदी, मथुरा में 71.9 फीसदी, अलीगढ़ में 72.2 फीसदी, एटा में 70.7 फीसदी, कानपुर1 में 80.4 फीसदी, झांसी में 71.2 फीसदी, बांदा में 75.1 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले गए हैं।

इसी तरह पश्चिमांचल में मेरठ जोन 1 में 83.90, मेरठ 2 में 86.70, गाजियाबाद 1 में 83.26, गाजियाबाद 2 में 85.94, गाजियाबाद 3 में 86.47, बुलंदशहर में 83.14, सहारनपुर में 84.24, मुजफ्फरनगर में 89.38, मुरादाबाद में 87.23, गजरौला में 88.73 और नोएडा में 87.39 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले जा चुके हैं। केस्को के सर्किल 1 में 75, सर्किल 2 में 65, सर्किल 3 में67, सर्किल 4 में 60 फीसदी ट्रांसफार्मर बदले गए हैं।

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