थाईलैंड में अधिक वेतन वाली नौकरी दिलाने का झांसा देकर 25 से अधिक भारतीयों को लाओस ले जाया गया जहां उन्हें साइबर अपराध के लिए मजबूर किया गया। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि मुंबई पुलिस ने मामले का पता चलने पर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें जेरी जैकब और उसका सहयोगी गाडफ्रे अल्वारेस शामिल है।
इस रैकेट के शिकार ठाणे निवासी युवक सिद्धार्थ यादव की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है। सिद्धार्थ और तीन अन्य लोग भारतीय दूतावास की मदद से लाओस से लौटने में कामयाब रहे थे। 23 मार्च को दर्ज मामले में सनी नाम के अन्य आरोपित एजेंट का भी नाम है। पुलिस ने जैकब को रैकेट का सरगना बताया है। सिद्धार्थ ने पुलिस को बताया कि उन्हें पैसा कमाने का झांसा देकर दिसंबर 2022 में थाईलैंड ले जाने की बात कहकर थाईलैंड सीमा के पास लाओस में एक जगह ले जाया गया।
अधिकारी ने कहा कि जैकब, अल्वारेस और सनी ने कथित तौर पर सिद्धार्थ और लगभग दो दर्जन भारतीयों को उन कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया गया जो यूरोप, अमेरिका और कनाडा में लोगों को धोखा देते थे। उनसे फर्जी इंटरनेट मीडिया अकाउंट के जरिये यूरोप, अमेरिका और कनाडा के लोगों से धोखाधड़ी को अंजाम दिलवाया गया। शिकायत के अनुसार कॉल सेंटरों ने मामूली कारण बताकर उन पर भारी जुर्माना भी लगाया। जब सिद्धार्थ और तीन अन्य लोग अपनी वापसी के लिए लाओस में भारतीय दूतावास पहुंचे तो आरोपितों ने उनकी पिटाई की। भारतीय दूतावास की मदद के बाद स्थानीय पुलिस ने सिद्धार्थ सहित अन्य युवाओं को बचाया गया।
पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आव्रजन कानून के तहत धमकी, गलत तरीके से बंधक बनाने, तस्करी और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है।एक अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपितों को सोमवार शाम को गिरफ्तार किया गया जब वे शहर में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने आए थे। पूछताछ के दौरान पता चला कि वे कुछ दिनों में देश से भागने वाले थे।
पुलिस उपायुक्त विशाल ठाकुर ने कहा, अपराध शाखा की टीम को जानकारी मिली कि आरोपित पिछले चार वर्षों से जाब रैकेट चला रहे थे। लाओस से लौटने के बाद अब तक 10 से अधिक पीडि़तों ने मुंबई पुलिस से संपर्क किया है।एक अन्य अधिकारी ने कहा, ऐसा संदेह है कि गिरोह के सदस्यों ने पिछले कुछ वर्षों में विदेश में नौकरी का लालच देकर देशभर के 100 से अधिक बेरोजगार युवाओं को ठगा है। गिरफ्तार दोनों आरोपितों को मंगलवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 30 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।