रात में जल्दी नहीं आती है नींद? सोने से पहले करें ये काम

आजकल के दौर में ज्यादातर लोग मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ओवर वर्क लोड, स्ट्रेस और नींद की कमी इस समस्या का मुख्य कारण बनते हैं। ऐसे में अपने मेंटल हेल्थ को बनाए रखने और डिप्रेशन से बचने के लिए मेडिटेशन करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। ऐसे में सुबह उठकर ध्यान लगाना जरूरी हो जाता है। मगर कई लोगों के लिए सुबह ध्यान लगाना संभव नहीं हो पाता है। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं, तो हम आपको बता दें की आप ये काम रात को सोने से पहले भी कर सकते हैं। रात के समय मेडिटेशन करने से आप दिन भर के तनाव और चिंता को आसानी से दूर कर सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे की रात के समय मेडिटेशन करने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं?

रात के समय मेडिटेशन के होते हैं ये फायदे:

  • बेहतर नींद:

आज के इस दौर में ज्यादातर लोगों को रात में जल्दी नींद नहीं आती है और वो सोने की बजाय अपना मोबाइल स्क्रॉल करते हैं। तो अगर आप भी उन्हीं लोगों में से के हैं तो आपके पास इससे बेहतर उपाय है। आप रात को सोने से पहले मेडिटेशन कर सकते हैं। इससे आपको आराम मिल सकता है। इसके साथ ही इसके नियमित अभ्यास से आप तनाव को भी दूर कर सकते हैं। जिससे आपकी नींद की गुणवत्ता बेहतर होगी। बता दें, रात को सोने से पहले मेडिटेशन करने से चिंता और बेचैनी जैसी परेशानी से भी राहत मिलती है और आपको बेहतर नींद आती है।

  • तनाव होता है दूर:

ज़्यादा स्ट्रेस लेने वाले लोगो को भी नियमित रूप से ध्यान लगाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हम जब तनावग्रस्त होते हैं, तो हमारा शरीर एड्रेनालाईन, कोर्टिसोल जैसे हार्मोन रिलीज़ करता है जो हमे अवसाद जैसी गंभीर नीमरि की ओर धकेल सकता है। ऐसे में सोने से पहले नियमित ध्यान करने से कोर्टिसोल के स्तर में कमी आती है।

  • दिमाग होता है कंप्यूटर जैसा तेज:

सोने से पहले नियमित ध्यान करने से दिमाग के हिप्पोकैम्पस क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बढ़ता है। अगर आप ऐसा लगातार आठ सप्ताह तक करते हैं तो आपके मस्तिष्क में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल सकता है। तो अगर आप सुबह मेडिटेशन नहीं कर पा रहे हैं तो रात में जरूर करें।

  • अवसाद जैसी परेशानियों को करता है दूर:

मेडिटेशन आपके भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है और आपका ध्यान पुनः केन्द्रित करता है। इसके साथ ही आपमें पैदा होने वाली नकारात्मक सोच को भी कम करता है जो अवसाद और चिंता को बढ़ावा दे सकता है।

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