विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज माघ कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी मंगलवार को तड़के भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुले। इस दौरान पण्डे पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से किया।
कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर मुकुट, सूर्य अर्पित कर उनका भगवान श्री राम के स्वरूप में शृंगार किया गया। शृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। भस्म अर्पित करने के पश्चात भगवान महाकाल को रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ साथ सुगन्धित कमल से पुष्प से बनी माला भी अर्पित की गई।
इसके बाद फल और मिष्ठान का भोग लगाया भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया। इससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल के साथ जय श्री राम की गूंज से गुंजायमान हो गया।
सभी देवताओं के स्वरूप में होता है बाबा महाकाल का शृंगार
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में सभी पर्व पर भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान महाकाल श्री कृष्ण के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं, जबकि हनुमान अष्टमी पर उन्हें हनुमान रूप में शृंगारित किया जाता है। दशहरा पर्व पर भगवान श्री राम के रूप में भी भक्तों को दर्शन देते हैं। यह अनूठी परंपरा केवल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर मंदिर में ही देखने को मिलती है।