इस उम्र में भी दादी रामबाई कर रही कमाल, 107 साल की उम्र में जीते दो स्वर्ण पदक

जज्बा हो तो कोई काम असंभव नहीं है। हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कादमा निवासी 107 वर्षीय रामबाई इसकी बानगी हैं। शुक्रवार को उन्होंने तेलंगाना में आयोजित 5वीं राष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीते हैं। आयोजकों ने रामबाई को 2500 खिलाड़ियों के सामने प्रेरणास्रोत के रूप में पेश किया गया।

बाकायदा खेल मैदान में रामबाई की फोटो, उम्र व उपलब्धि दर्शाते बैनर भी लगाए गए। रामबाई की दोहती शर्मिला ने बताया कि नानी खुद की फोटो खेल मैदान में लगी देखकर खिलखिला उठीं।

रामबाई चरखी दादरी जिले की सबसे वयोवृद्ध महिला हैं। वे लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में स्वर्ण पदकों की झड़ी लगा रही हैं। दोहती शर्मिला की प्रेरणा से चार साल पहले वे खेल मैदान में उतरी थीं और अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 50 पदक जीत चुकी हैं। एक सप्ताह के अंदर उन्होंने दो राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पांच स्वर्ण पदक जीते हैं।

तेलंगाना के हैदराबाद में आयोजित चैंपियनशिप में इनकी 100 मीटर की दौड़ रविवार को होनी है। अपने आयुवर्ग की दौड़ स्पर्धा में भी वे स्वर्ण पद की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। पांच दिन पहले उन्होंने अलवर में आयोजित 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक हासिल किया था।

रामबाई की तरह ही उनकी दो बेटी 70 वर्षीय सुंदर देवी और 65 वर्षीय संतरा देवी भी एथलीट हैं। ये दोनों भी नेशनल स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं। उनकी संतरा देवी की बेटी 40 वर्षीय शर्मिला देवी भी एथलीट हैं। ज्यादातर स्पर्धाओं में रामबाई अपनी बेटियों व दोहती के साथ भाग लेने पहुंचती हैं। रामबाई का परिवार खेल मैदान में प्रेरणास्रोत बना है और इस परिवार का उदाहरण तेलंगाना में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय चैंपियनशिप में भी दिया गया।

नेपाल और मलेशिया से जीतकर लाई थी स्वर्ण पदक
रामबाई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी अपनी छाप छोड़कर देश को चार स्वर्ण पदक जीता चुकी हैं। उन्होंने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 100 व 200 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते थे। इसके अलावा वो मलेशिया में आयोजित 100 व 200 मीटर दौड़ स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

यूं रख रहीं खुद को फिट
107 वर्ष की उम्र में खेल मैदान से जुड़े रहना हर किसी के लिए संभव नहीं है। रामबाई उम्र के बढ़ते पड़ाव में भी लगातार खेल मैदान में उतरकर पदक जीत रही हैं। नियमित पैदल चलना और देसी खुराक रामबाई की सेहत का राज है। वह सुबह-शाम आधा किलो दूध पीती हैं, जबकि घी, चूरमा, दही और मिस्सी रोटी खाती हैं। इसके अलावा वह सुबह-शाम खेतों में सैर करने भी जाती हैं।

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