मुंबई: अजित पवार से जुड़े बैंक घोटाला मामले को बंद करने की तैयारी

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। इस रिपोर्ट में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी आरोपी थे। क्लोजर रिपोर्ट को देखकर पता चलता है कि एजेंसी मामले को बंद करने पर आमादा है।

15 मार्च को होगी अगली सुनवाई

यह मामला राज्य में चीनी सहकारी समितियों और अन्य संस्थानों द्वारा जिला और सहकारी बैंकों से प्राप्त 25,000 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले से संबंधित है। मुंबई पुलिस ने विशेष अदालत में “सी” सारांश रिपोर्ट दायर की है और मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी। मालूम हो कि जब मामला न तो सच होता है और न ही गलत होता है तो पुलिस द्वारा सी सारांश रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।

आरबीआई के नियमों के उल्लंघन का आरोप

अदालत तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या एजेंसी को जांच जारी रखने और आरोप पत्र दायर करने का निर्देश दिया जाए। आरोपी के रूप में नामित अजित पवार और 70 से अधिक अन्य, जो संबंधित अवधि के दौरान एमएससी बैंक के निदेशक थे, उनपर ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया था कि वे चीनी मिलों को बहुत कम दरों पर ऋण वितरित करने और संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचने का आरोप है। दरअसल, बिक्री में भारतीय रिजर्व बैंक का के नियमों का उल्लंघन भी किया गया।

2020 में भी पेश की थी क्लोजर रिपोर्ट

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ईओडब्ल्यू द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इससे पहले 2020 में जब अजित पवार महाविकास अघाड़ी सरकार में डिप्टी सीएम थे, तब EOW ने बॉम्बे सेशन कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।

ईडी ने क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ डाली थी याचिका

ईडी ने उस समय क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ हस्तक्षेप याचिका भी दायर की थी और जांच शुरू की थी। महाराष्ट्र राज्य सहकारी (MSC) बैंक घोटाला मामला 25,000 करोड़ रुपये के कथित धोखाधड़ी वाले ऋण वितरण से संबंधित है। जनहित याचिका धोखाधड़ी के कथित तौर-तरीकों पर प्रकाश डालती है।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि कुछ चीनी मिलों ने बिना उचित जांच-पड़ताल के दिए गए ऋणों पर चूक की है। उन चीनी मिलों को एमएससी बैंकों द्वारा कुर्क कर लिया गया और बैंक के विभिन्न पदाधिकारियों और राजनेताओं को नीलाम कर दिया गया।

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