आजकल के लाइफस्टाइल में डायबिटीज एक कॉमन बीमारी बन गई है, जिससे सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि युवा भी परेशान हो रहे हैं। इस बीच, हाल ही में टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट्स से जुड़ी एक स्टडी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि ऐसे रोगियों में त्वचा की कुछ समस्याएं भी देखने को मिलती हैं, जिनमें गर्दन के पीछे की स्किन का मोटा हो जाना या काला पड़ जाना भी शामिल है। आइए जान लीजिए कि क्या कुछ कहती है स्टडी।
स्टडी में एम्स के शोधकर्ता भी थे शामिल
शोधकर्ताओं का कहना है कि टाइप 2 डायबिटीज में लोगों में गर्दन के पीछे त्वचा का मोटा होना, काला पड़ना और मखमली जैसा दिखना लिवर की कोशिकाओं को ज्यादा नुकसान पहुंचाने (फाइब्रोसिस) का संकेत हो सकता है। बता दें, ये स्टडी फोर्टिस सी-डोक अस्पताल फॉर डायबिटीज एंड अलाइड साइंसेज और एम्स के शोधकर्ताओं ने किया है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या में जोखिम ज्यादा
त्वचा से जुड़ी इस समस्या को एकेंथोसिस नाइग्रिकन्स (Acanthosis Nigricans) कहा जाता है। यह ज्यादातर उन लोगों में देखी जाती है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या से ग्रसित होते हैं। इसमें गर्दन के पीछे के हिस्से के अलावा बगल, कोहनी, घुटने और कमर में भी हो सकती है।
शुरुआती स्टेज में हो सकता है सफल इलाज
शोधकर्ताओं के मुताबिक “प्राइमरी केयर डायबिटीज” नाम की पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि ‘एकेन्थोसिस नाइग्रिकन्स’ भारतीय मूल के एशियाई लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के साथ लिवर में फैट और फाइब्रोसिस (लिवर खराब होने के संकेत) के खतरे का पता लगाने के लिए आसानी से पहचाने जाने वाला संकेत हो सकता है। इससे शुरुआती स्टेज में ही इसका पता लगाकर इलाज किया जा सकता है।”
लिवर खराब होने का रहता है खतरा
यह स्टडी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हमारे देख में बड़ी संख्या में लोग इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज से परेशान हैं। अध्ययन के सह-लेखक और फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल के कार्यकारी अध्यक्ष एवं निदेशक ने कहा है, कि “टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट्स को लेकर किए गए इस अध्ययन में हमने पाया कि एकेंथोसिस नाइग्रिकन्स और लिवर में फैट जमा होने और फाइब्रोसिस के बीच सीधा संबंध है।”
ऐसे लोगों को ज्यादा रिस्क
जानकारी के मुताबिक, रिसर्च टीम ने ऐसे 300 लोगों की जांच की, जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज थी, और उनमें से कुछ लोगों को नाइग्रिकन्स की समस्या भी थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह त्वचा संबंधी समस्या महिलाओं, अधिक वजन वाले लोगों और टाइप 2 डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों में ज्यादा देखने को मिली।