लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान दिखी गूगल की ‘शक्ति’

प्रोजेक्ट शक्ति के तहत आज देश की मेनस्ट्रीम मीडिया का फैक्ट-चेकिंग में भरोसा बना है। आपको बता दें कि देश के सबसे महत्वपूर्ण अवसर यानी की लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान प्रोजक्ट शक्ति मीडिया संस्थानों के लिए बड़ा अवसर बनकर आया। प्रोजेक्ट शक्ति में 50 अलग-अलग स्थानों पर काम करने वाले 300 से अधिक पत्रकार और तथ्य-जांचकर्ता शामिल हुए।

देश-विदेश में जब भी भारत का जिक्र होता है, तो उसे लगभग हमेशा ही ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र’ कहा जाता है। अगर इस लोकतंत्र को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो इससे निपटने के लिए भी हमारी सरकार हमेशा तैयार रहती है।

इस साल देश में लोकसभा चुनाव हुए और इस दौरान ऑनलाइन गलत सूचनाएं और डीपफेक का तेजी से फैलना जायज रहता है। इससे निपटने के लिए और तुरंत गलत सूचनाओं का पता लगाने के लिए न्यूज इनिशिएटिव (GNI) ने प्रोजक्ट शक्ति को लॉन्च किया था।

गूगल की पहल…
इस प्रोजेक्ट के जरिए ‘इंडिया इलेक्शन फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव’ को अपना सपोर्ट देने का वादा किया। गूगल की इस पहल से फैक्ट चेकर्स और न्यूज देने वाली संस्थाओं को फेक न्यूज डीपफेक और भ्रामक जानकारियों से बचने और उन्हें पहचाने में मदद मिली।

वो तीन चीजें जिसके अनुसार प्रोजक्ट शक्ति करती है काम
लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाले और झूठ से निपटने के लिए भारतीय तथ्य-जांच समुदाय के प्रयासों और लक्ष्यों को इन 3 दृष्टिकोण से देखा जा सकता है

पहला- पता लगाना
दूसरा- खंडन करना
तीसरा- वितरित करना

आइये इन तीनों के बारें में डिटेल से जानें…

पहला- पता लगाना: बड़े पैमाने पर गलत सूचना को पहचानने के लिए अक्सर, तीन चीजों का ही उपयोग किया जाता हैं, जिसमें मेटा डैशबोर्ड, Google Fact Check एक्सप्लोरर और हमारे सोर्स होते हैं। हालांकि,अगर समस्या बडे़ पैमाने पर है तो उसे हल करने के लिए यह जानना बेहद महत्वपूरण होगा कि जमीनी स्तर पर आखिर क्या हो रहा है।

दूसरा- खंडन करना: गलत सूचनाओं को सबके सामने पेश करना और झूठ को उजागर करना। साथ ही यूनिक कंटेट को बनाने में सक्षम होना।

तीसरा- वितरित करना: जब फैक्ट-चैकिंग के जरिए भ्रामक सूचनाओं और झूठी खबरों का पता चल जाए तो उस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। खासकर ऐसी जगहों में जहां से गलत खबरें या सूचनाएं फैली थी। इससे उस खबर की लोगों तक पहुंच बनेगी और उसका प्रभाव भी कम किया जा सकेगा।

प्रोजेक्ट शक्ति से मिली मीडिया संस्थानों को बड़ी मदद
देश के सबसे महत्वपूर्ण अवसर के दौरान प्रोजक्ट शक्ति मीडिया संस्थानों के लिए बड़ा अवसर बनकर आया। 2024 के लोकसभा चुनाव के समय ये वाजिब था कि ऐसे कई भ्रामक खबरें फैलेंगी जिससे लोगों के बीच आंशाकाएं पैदा होंगी। हालांकि, प्रोजेक्ट शक्ति की मदद से झूठी खबरों को रोकने में काफी मदद मिली। देश का ये एक ऐसा चुनाव था जिसका हिस्सा बनने के लिए 96.88 करोड़ मतदाता रजिस्टर्ड थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह यूरोपीय संघ की जनसंख्या से दोगुनी से भी अधिक है!

प्रोजेक्ट शक्ति में 300 से अधिक पत्रकार और फैक्ट-चेकर्स
इतने बड़े पैमाने पर चुनाव के बीच किसी भी तथ्य-जांच संगठन के लिए अपने दम पर ये सब हासिल करना संभव नहीं था। प्रोजेक्ट शक्ति में 50 अलग-अलग स्थानों पर काम करने वाले 300 से अधिक पत्रकार और तथ्य-जांचकर्ता थे।

चुनाव के खत्म होने तक, प्रोजेक्ट शक्ति ने चुनाव से संबंधित सबसे अधिक संख्या में तथ्य-जांच को पुनर्वितरित किया था। IFCN-हस्ताक्षरकर्ता तथ्य-जांच न्यूजरूम के एक दर्जन से अधिक कामों पर आधारित 2,600 से अधिक कहानियां – छोटे और बड़े मीडिया आउटलेट्स द्वारा पब्लिश की गईं, जो भारत के 28 शहरों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10 भाषाओं में लोगों तक पहुंची।

मेनस्ट्रीम मीडिया का बढ़ा भरोसा
विश्व आर्थिक मंच की 2024 वैश्विक जोखिम रिपोर्ट के अनुसार, गलत सूचना और भ्रामक सूचना के जोखिम के मामले में भारत सबसे ऊपर स्थान पर हैं। हालांकि, प्रोजेक्ट शक्ति ने गलत सूचना के खिलाफ लड़ने में काफी मदद की है। वहीं, जागरण न्यू मीडिया और इंडिया टुडे जैसे बड़े मीडिया संस्थानों ने तथ्य-जांच में अपना विश्वास बनाए रखा। इसी को देखते हुए यह पहली बार हुआ कि मेनस्ट्रीम मीडिया प्रकाशकों ने भी तथ्य-जांच में विश्वास बनाना शुरू किया।

इंफॉर्मेशन डिसऑर्डर क्या?
इंफॉर्मेशन डिसऑर्डर यानी गलत सूचना जो तब होती है जब नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर कोई गलत सूचना शेयर की जाए। आज के समय में इससे निपटना ज्यादा मुश्किल नहीं है। गलत सूचना से निपटने के लिए मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट एलायंस की भी योजना तैयार की गई, जो इंफॉर्मेशन डिसऑर्डर से निपटने में मदद करेगी।

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