रियल एस्टेट कंपनी एमआई बिल्डर्स के राजधानी स्थित ठिकानों के साथ आयकर विभाग ने नोएडा में पूर्व आईएएस अफसर राकेश बहादुर के आवास को भी खंगाला। नोएडा की जेपी ग्रीन टाउनशिप में रहने वाले राकेश बहादुर के विला में आयकर विभाग की टीम पुलिस की मौजूदगी में छानबीन कर रही है। सूत्रों की मानें तो उन्होंने अपनी काली कमाई को एमआई बिल्डर्स के पास निवेश किया था। वह बसपा और सपा सरकार में कई अहम पदों पर तैनात रह चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक एमआई बिल्डर्स के ठिकानों पर छापे में पूर्व आईएएस के नोएडा के आवास का पता चलने के बाद आनन-फानन में सर्च वारंट लेकर छापा मारा गया। यहां करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। आयकर अधिकारी पूर्व आईएएस से गहनता से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर राजधानी में भी एमआई बिल्डर्स के संचालक मोहम्मद कादिर अली से पूर्व आईएएस के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर पूछताछ की जा रही है। दोनों के बयानों को अधिकारी सत्यापित भी कर रहे हैं। अब तक की जांच में दोनों के बीच करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन होने के पुख्ता सुराग हाथ लग चुके हैं। संपत्तियों के दस्तावेजों की जांच के बाद यह रकम कई गुना अधिक होने की उम्मीद जताई जा रही है। आयकर विभाग जल्द इस बारे में अहम खुलासा करने की तैयारी में है।
लाटूश रोड के तीन कारोबारियों को भी खंगाला
आयकर विभाग की टीमों ने लाटूश रोड के तीन कारोबारियों समेत एमआई बिल्डर्स को भवन निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाले करीब एक दर्जन वेंडरों के ठिकानों को भी खंगाला है। इनमें बिजली के उत्पादों का कारोबार करने वाली लाटूश रोड की नामी फर्म भी शामिल है।
दरअसल, छापे में तीनों कारोबारियों के साथ करोड़ों रुपये की नकदी का लेन-देन होने का पता चला है। इसके अलावा हजारों की संख्या में बोगस बिल भी मिले हैं, जिन्हें आयकर बचाने के लिए बनवाया गया था। वहीं, निरालानगर के अंकुर ट्रेडर्स के अधिकांश ठिकानों पर बृहस्पतिवार को छापे की कार्रवाई समाप्त हो गई।
नोएडा भूमि घोटाले में भी फंसे थे
बता दें कि आयकर जांच की दायरे में आए पूर्व आईएएस राकेश बहादुर बसपा सरकार में अंजाम दिए गए नोएडा भूमि घोटाले में भी फंसे थे। उनके खिलाफ सीबीआई ने भी जांच की थी। बाद में हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए भविष्य में उन्हें पश्चिमी उप्र से दूर रखने का आदेश दिया था। हालांकि बाद में सपा सरकार आने पर उन्हें दोबारा नोएडा में ही तैनात कर दिया। इतना ही नहीं, उन्हें बाद में शासन में भी अहम पदों पर तैनाती दी गई थी।