मातृभूमि की सेवा में समर्पित एक परिवार की यह प्रेरणादायी कहानी है। जहां पिता की गौरव गाथा ने बेटे के हौसलों को उड़ान दी और देश सेवा की राह प्रशस्त की। हम बात कर रहे हैं कारगिल युद्ध के नायक महावीर चक्र विजेता कर्नल बलवान सिंह की। जिनका बेटा पंचकुला हरियाणा निवासी देव पंघाल उन्हीं की तरफ फौज में अफसर बन गया है।
देव तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी हैं। उन्होंने अपनी पारिवारिक विरासत को जारी रखते हुए फौज में करियर चुना। उनके दादा सोभा चंद ने जाट रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में सेवा की थी। पिता कर्नल बलवान सिंह ( तब लेफ्टिनेंट) ने कारगिल युद्ध में घातक प्लाटून की कमान संभाली थी।
टाइगर हिल पर किया था कब्जा
उन्होंने टाइगर हिल पर कब्ज़ा करने के एक सफल मिशन का नेतृत्व किया था। उनके साहस व पराक्रम के लिए उन्हें महावीर चक्र से अलंकृत किया गया। अपने पिता के साहस से प्रेरित होकर देव के मन में भी फौजी वर्दी की ललक जगी। भवन विद्यालय पंचकुला से उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई।
2020 में बारहवीं करने के बाद उन्होंने एनडीए की परीक्षा दी और सफल रहे। उनकी बहन इशिका नीट की तैयारी कर रही हैं। वह भी बतौर डाक्टर सेना में सेवा देने की इच्छुक हैं। पिता कर्नल बलवान सिंह का कहना है कि परिवार की सैन्य विरासत को बेटे ने आगे बढ़ाया है। अब यही ख्वाहिश है कि वह पूरी ईमानदारी व बहादुरी के साथ देश की सेवा करें।
पिता बीएसएफ में, बेटा सेना में करेगा देश सेवा
देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर उत्तरकाशी के शुभम नेगी सेना में अफसर बन गए हैं। उन्होंने दून का भी मान बढ़ाया है। शुभम यहां डीएवी पीजी कालेज के छात्र रह चुके हैं। उनके पिता रणवीर सिंह नेगी बीएसएफ में हैं। अब पिता के साथ बेटा भी देश सेवा में जुट गया है।
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उत्तरकाशी के ग्राम स्याढ़ा, बड़कोट निवासी शुभम नेगी ने बताया कि उनकी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय पुरोला से हुई। इस दौरान वह कई वर्ष तक घर से दूर हास्टल में रहे। बीएसएफ में तैनात कांस्टेबल पिता का देश के प्रति प्रेम देखकर उन्होंने सैन्य अधिकारी बनकर देश सेवा का मन बनाया। इसके लिए वह दून आ गए और यहां डीएवी पीजी कालेज से विज्ञान वर्ग में स्नातक किया।
इस दौरान वह लगातार सेना में अधिकारी बनने की तैयारी भी करते रहे और दूसरे ही प्रयास में सीडीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लेकर शनिवार को सेना में अधिकारी बन गए। इस मौके पर उनकी माता हेमलता नेगी और छोटा भाई प्रांजल नेगी बेहद खुश नजर आए। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, स्वजन और मित्रों को दिया।