कब और क्यों मनाया जाता है सकट चौथ का पर्व?

हर साल मकर संक्रांति के बाद सकट चौथ (Sakat Chauth 2025) के पर्व को मनाया जाता है। इस त्योहार को माघी चौथ और तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है। सनातन शास्त्रों में इस पर्व का विशेष उल्लेख देखने को मिलता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का भोग लगाया जाता है।

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की विधिपूवर्क उपासना की जाती है। साथ ही अन्न और धन का दान मंदिर या गरीब लोगों में किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से जीवन में आ रहे सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं। साथ ही गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त होती है। क्या आप जानते हैं कि हर साल सकट चौथ (Sakat Chauth 2025) के पर्व को क्यों मनाया जाता है। अगर नहीं पता, तो चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।

कब मनाया जाता है सकट चौथ
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है।

क्यों मनाया जाता है सकट चौथ (Sakat Chauth Significance)
धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से सकट चौथ व्रत को करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। घर में सुख-शांति का आगमन होता है। बच्चों के जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव को जल देने से संतान को किसी भी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सकट चौथ 2025 मुहूर्त (Sakat Chauth 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में 17 जनवरी को सकट चौथ (Sakat Chauth 2025 Date) का पर्व मनाया जाएगा।

शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक

सकट चौथ पूजा सामग्री लिस्ट (Sakat Chauth Puja Samagri List)

जल
सुपारी
जनेऊ
लौंग
दीपक
पीला कपड़
चौकी
फूल
गंगाजल
11 या 21 तिल के लड्डू
फल
कलश
गणेश जी की प्रतिमा
दूध
मोदक
धूप
देसी घी

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