‘हिंदी को मुंबई की बोली’ बताने पर छिड़ा विवाद, विरोधियों के निशाने पर महाराष्ट्र के मंत्री

महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री और शिवसेना नेता प्रताप सरनाईक के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है कि हिंदी मुंबई की बोली और यहां बोली जाने वाली भाषा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां प्रवासी अधिक रहते हैं।

मराठी हमारी मातृभाषा है, हमारी मां है
परिवहन मंत्री ने कहा, मेरा विधानसभा क्षेत्र ठाणे और मीरा – भायंदर में है। जब मैं ठाणे में लोगों से बात करता हूं, तो मैं शुद्ध मराठी में बोलता हूं। जैसे ही मैं मीरा – भायंदर में प्रवेश करता हूं, मेरे मुंह से केवल हिंदी निकलती है। मराठी हमारी मातृभाषा है, हमारी मां है। लेकिन हिंदी हमारी प्यारी बहन है। इन प्यारी बहनों की वजह से हमें (राज्य विधानसभा में) 237 से अधिक सीटें मिली हैं।

हिंदी मुंबई की बोली बन गई है- मंत्री
उन्होंने कहा कि हिंदी मुंबई की बोली बन गई है। मुंबई में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां शुद्ध हिंदी बोली जाती हो। हिंदी बोलते समय एक न एक शब्द अंग्रेजी या मराठी का आता ही है। इसलिए हिंदी हमारी बोली बन गई है।
बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना इसलिए की थी

शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने प्रताप सरनाईक के इस बयान पर उनकी आलोचना की और मंत्री से पूछा कि क्या यह राज्य सरकार का आधिकारिक रुख है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने सरनाईक की आलोचना करते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना इसलिए की थी ताकि मराठी लोग सम्मान के साथ रह सकें।

शिवसेना का गठन मराठी लोगों के उत्थान और कल्याण के लिए किया गया था ताकि उन्हें मराठी होने पर गर्व हो। अब ये लोग (शिवसेना) कहते हैं कि हम बालासाहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी हैं। उनके नेताओं से पूछिए कि क्या मराठी पर उनका यही स्टैंड है?

उन्होंने कहा कि शिवसेना जो सोचती है, वही भाजपा और गृह मंत्री अमित शाह का सोच है। राउत ने कहा कि मैंने बार-बार कहा है कि उनकी पार्टी (शिवसेना) के नेता और प्रमुख अमित शाह हैं। इसलिए जो शाह कहते हैं, ये लोग वही कहते हैं। वे (शिवसेना नेता) भाजपा और अमित शाह के विचारों को आगे रख रहे हैं।

महाराष्ट्र और मुंबई की भाषा मराठी है- मनसे
मनसे नेता यशवंत किलेदार ने कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र और मराठी लोगों के लिए लड़ेगी। उन्होंने कहा, अगर वे वोटों की खातिर मराठी को गिरवी रखना चाहते हैं तो पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र और मुंबई की भाषा मराठी है। मुंबई मराठी लोगों की है। क्या प्रताप सरनाईक को यह पता है?

हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने का फैसला बदलना पड़ा था
सरनाईक का बयान ऐसे समय में आया है जब अप्रैल में महायुति सरकार को महाराष्ट्र में कड़े विरोध के बाद शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से अंग्रेजी और मराठी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के अपने कदम वापस लेने पड़े थे। स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने घोषणा की कि हिंदी को फिलहाल अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा, लेकिन कक्षा एक से पांच तक यह वैकल्पिक होगी।

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