मध्य प्रदेश की 29 में से छह लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। इसके लिए 20 मार्च को नोटिफिकेशन जारी होगा। 27 मार्च तक नामांकन दाखिल हो सकेंगे और 30 मार्च तक नाम वापसी संभव होगी। भाजपा ने इन सभी छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। कांग्रेस की बात करें तो फिलहाल सीधी, मंडला और छिंदवाड़ा में ही प्रत्याशी तय हुए हैं। शेष तीन सीटों पर एक-दो दिन में नाम सामने आ सकते हैं।
क्या कहता है इन छह सीटों का गणित
मध्य प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। जिन छह सीटों पर पहले चरण में वोटिंग होनी है, उनमें से छिंदवाड़ा छोड़कर पांच सीटें भाजपा की झोली में आई थीं। चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में इन छह लोकसभा सीटों की 47 में से कांग्रेस ने 19 और भाजपा ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस वजह से 2024 के लोकसभा चुनावों में मुकाबला कांटे का होने के आसार बताए जा रहे हैं।
विधानसभा की तर्ज पर वोटिंग हुई तो कौन पड़ेगा भारी
मध्य प्रदेश में चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों की तर्ज पर ही वोटिंग होती है तो कांग्रेस इस इलाके में वापसी कर सकती है। महाकौशल और विंध्य इलाके से आने वाली इन सीटों पर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था। इन छह लोकसभा सीटों में से दो सीटों (मंडला और छिंदवाड़ा) पर कांग्रेस को भाजपा से अधिक वोट मिले थे। वहीं, एक (बालाघाट) सीट पर तो भाजपा-कांग्रेस के वोटों का अंतर महज साढ़े तीन हजार का था। शेष तीन सीटों (सीधी, शहडोल और जबलपुर) में भाजपा की पकड़ मजबूत लग रही है।
किस सीट पर क्या है स्थिति?
सीधीः 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस संसदीय क्षेत्र की आठ में से सात विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। पूर्व सांसद रीति पाठक ने विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक बनीं। इसके बाद भाजपा ने डॉ. राजेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। इससे भाजपा में भी गुटबाजी सतह पर आ गई है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह ने इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधायक कमलेश्वर पटेल को टिकट दिया है। 1998 से ही इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है।
शहडोलः शहडोल संसदीय सीट की आठ में से सात विधानसभा सीटें इस समय भाजपा के पास है। सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है। पुष्पराजगढ़ से फुंदेलाल मार्को ने कांग्रेस को इकलौती सीट दिलाई थी। इस वजह से मार्को का नाम कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी के तौर पर सबसे आगे लिया जा रहा है। भाजपा ने शहडोल से मौजूदा सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है। हिमाद्री सिंह ने पिछला चुनाव 4.5 लाख से अधिक वोट से जीता था। हिमाद्री के पिता दलवीर सिंह और मां राजेश नंदिनी कांग्रेस से सांसद रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि 1996 से यह सीट भाजपा के पास ही थी। बीच में सिर्फ पांच साल ही यह सीट कांग्रेस के पास थी जब हिमाद्री की मां राजेश नंदिनी ने 2009 में यहां जीत हासिल की थी।
जबलपुरः जबलपुर संसदीय क्षेत्र की आठ में से सात विधानसभा सीटों पर भाजपा ने 2023 में जीत हासिल की थी। जबलपुर ईस्ट सीट पर लखन घनघोरिया जीते थे और शेष सात सीटें भाजपा के पास गई थी। चार बार के सांसद राकेश सिंह के विधायक और फिर प्रदेश शासन में मंत्री बनने से भाजपा ने आशीष दुबे को टिकट दिया है। कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार है। संसदीय क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले दो लाख अधिक वोट मिले थे। इस वजह से भाजपा इस सीट को लेकर आशान्वित नजर आ रही है। यह सीट भी 1996 से ही भाजपा के पास है। राकेश सिंह इस्तीफा देने से पहले 2004 से लगातार चौथी बार इस सीट पर संसदीय चुनाव जीते थे।
मंडलाः भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते को एक बार फिर टिकट दिया है। विधानसभा चुनावों की बात करें तो कुलस्ते को निवास सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भी लोकसभा के लिए पार्टी ने कुलस्ते पर भरोसा जताया है। इस संसदीय क्षेत्र की आठ में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भाजपा से अधिक वोट मिले थे। इस वजह से कांग्रेस यहां कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है। पार्टी ने डिंडौरी के विधायक ओंकार सिंह मरकाम पर भरोसा जताया है। कुलस्ते इस सीट पर छह बार सांसद रहे हैं। 2009 के चुनाव और पांच साल की अवधि छोड़ दें तो कुलस्ते ही 1996 के बाद से इस सीट पर सांसद रहे हैं।
बालाघाटः भाजपा ने डॉ. भारती पारदी के तौर पर एक महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। विधानसभा चुनावों में भाजपा-कांग्रेस बराबरी पर छूटे थे। दोनों को चार-चार विधानसभा सीटें मिली थी। भाजपा महज साढ़े तीन हजार वोटों से आगे रही थी। कांग्रेस करीब 30 हजार वोट के अंतर से बड़ी जीत दर्ज करने वाली अनुभा मुंजारे को टिकट दे सकती है। तब दो महिला नेत्रियों में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। 1998 से बालाघाट सीट भाजपा के पास है। भाजपा के टिकट पर सिर्फ गौरीशंकर बिसेन ही इस सीट पर दो बार सांसद रहे हैं। 1999 में प्रहलाद पटेल, 2009 में केडी देशमुख, 2014 में बौद्ध सिंह भगत और 2019 में ढालसिंह बिसेन यहां से सांसद रहे। बिसेन का टिकट काटकर ही पारदी को टिकट दिया गया है।
छिंदवाड़ाः छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं और 2023 में इन सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में कमलनाथ से हारने वाले जिला भाजपा अध्यक्ष बंटी विवेक साहू को ही इस बार पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे नकुल नाथ के सामने उतारा गया है। विधानसभा चुनावों की बात करें तो दोनों पार्टियों के वोटों का अंतर करीब एक लाख का रहा है। कांग्रेस को यहां स्पष्ट बढ़त मिली थी। संसदीय सीट की बात करें तो 1980 में कमलनाथ यहां पहली बार जीते। फिर चुनावों में उनकी या उनके परिवार के पास ही यह सीट रही। 2007 में जरूर पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को यहां से जीत मिली थी। कमलनाथ खुद यहां से नौ बार सांसद रहे। उनकी पत्नी अलका नाथ और बेटा नकुल भी एक-एक बार सांसद रहे हैं।