पापा होते तो कितना खुश होते…. कोटद्वार की सृष्टि ने ऐसे किया सपना पूरा

बचपन से ही स्कूल में वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में मेरा रुझान देखकर पापा ने मुझे लॉ के क्षेत्र में जाने की सलाह दी। उनका सपना था कि मैं एलएलबी करने के बाद जज बनूं और समाज के वंचित तबके को न्याय दिला सकूं। तैयारी के बीच में ही पापा इस दुनिया को अलविदा कह गए।

आज जज बनी तो उनका सपना पूरा कर दिया। काश आज पापा होते तो, कितने खुश होते। उत्तराखंड पीसीएस-जे परीक्षा पास कर जज बनी सृष्टि बनियाल इस खुशी के साथ ही पापा को याद कर गमजदा भी हो गई। सृष्टि ने इलाहाबाद विवि से पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड बीए-एलएलबी 2022 में पूरी की। इसमें सृष्टि ने सिल्वर मेडल हासिल किया। अब वह इलाहाबाद विवि से ही एलएलएम की पढ़ाई कर रही हैं। सृष्टि के पिता स्व. गोपाल कृष्ण बनियाल बीईएल हरिद्वार से सेवानिवृत्त हुए थे।

पिछले साल फरवरी में फेफड़े के कैंसर की वजह से उनका निधन हो गया था। पीसीएस-जे की तैयारी कर रही सृष्टि के लिए यह वक्त बेहद मुश्किल था। पिता का साया सिर से उठने के बाद सृष्टि ने अपनी जिम्मेदारी और पापा का सपना साकार करने के लिए जी-तोड़ मेहनत शुरू कर दी। पहले ही प्रयास में उनकी मेहनत रंग लाई और पीसीएस-जे परीक्षा पास कर जज बन गई। सृष्टि का कहना है कि उनके पापा का सपना आज पूरा हो गया। पापा होते तो कितना खुश होते।

हार नहीं माननी, लगे रहना है
सृष्टि का कहना है कि पीसीएस-जे परीक्षा मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सबसे खास बात ये है कि विधि की दुनिया में दिनोंदिन आ रहे नए बदलवों, अपडेट्स को लेकर जागरूक रहें। कानून की व्यवहारिकता को अपने जीवन से जोड़कर देखें कि कैसे रियल लाइफ में कानून काम कर रहा है। सृष्टि का कहना है कि अगर लक्ष्य बनाकर एकजुटता से तैयारी करोगे तो जीत तय है।

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