मध्य प्रदेश: किताबों के लिए पैसे जमा नहीं किए तो स्कूल के सीईओ ने किया प्रताड़ित

अभिभावक नीरज गोस्वामी ने बताया कि उनके बेटे ने स्कूल से आकर अपनी मां को और फिर रात में उन्हें बताया कि कंप्यूटर की किताब के लिए 900 रुपए स्कूल से मांगे गए थे। स्कूल में बच्चे को सभी के सामने डांटा गया। इस तरह से बच्चों को डांटना ठीक नहीं है।

जनसुनवाई में टीवी हायर सेकेंड्री स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के अभिभावक नीरज गोस्वामी द्वारा स्कूल के खिलाफ शिकायती आवेदन दिया गया। गोस्वामी का आरोप है कि किताबों के पैसे जमा नहीं करने पर उनके बेटे को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। गोस्वामी द्वारा जनसुनवाई में दिए गए आवेदन में कहा गया है कि उनका बेटा अथर्व गोस्वामी टीवी हायर सेकेंडरी स्कूल (मुंगावली) में कक्षा आठ में पढ़ता है।

22 जुलाई को स्कूल समय के दौरान उनकी कक्षा के छात्र-छात्राओं को एक साथ बुलाकर स्कूल के पुनीत जैन द्वारा उनके बेटे को सभी बच्चों और स्टाफ के सामने जोर से डांटा गया। उन्होंने बेटे से कंप्यूटर और अन्य किताबें स्कूल से खरीदने के लिए 900 रुपये लाने को कहा। जब बेटे ने कहा कि उसके पापा आकर जमा कर देंगे, तो पुनीत जैन ने उसे जोर से डांटा और पूछा कि कब आएंगे तुम्हारे पापा? इस पर उनका बेटा डर गया और उसने घर आकर अपनी मम्मी को सारी बात बताई।

गोस्वामी ने आवेदन देकर स्कूल के सीईओ पुनीत जैन के खिलाफ मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगातार कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में शिक्षा माफिया फल-फूल रहा है, स्कूलों की किताबें मनमाने दाम पर चुनिंदा दुकानों पर या स्कूल के माध्यम से ही बेची जा रही हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

कब आएंगे पापा
पिता के पूछने पर अथर्व ने बताया कि पुनीत सर ने छात्र-छात्राओं को ऑफिस में बुलाकर बुक नहीं लेने के लिए पूछा। मैंने कहा कि पापा फीस जमा करने आएंगे तो उसी समय में बुक ले लूंगा, इस पर सर ने जोर से डांटकर कहा कि पापा कब आएंगे और कब पैसे जमा कर देंगे।

बच्चों को इस तरह डांटना ठीक नहीं
नीरज गोस्वामी ने बताया कि उनके बेटे ने स्कूल से आकर अपनी मां को और फिर रात में उन्हें बताया कि कंप्यूटर की किताब के लिए 900 रुपए स्कूल से मांगे गए थे। स्कूल में बच्चे को सभी के सामने डांटा गया। इस तरह से बच्चों को डांटना ठीक नहीं है।

स्कूल सीईओ ने यह कहा
स्कूल के सीईओ पुनीत जैन ने कहा कि मामला ऐसा कुछ नहीं था। अभिभावक को कुछ गलतफहमी हो गई। सभी कक्षा के बच्चों से अभिभावकों के समक्ष यह पूछा गया था। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल में हर अभिभावक चाहता है कि उनका बच्चा चीजें सीखे, जिसमें कंप्यूटर और इंग्लिश ग्रामर शामिल हैं। किताबों की प्रिंटिंग रेट बढ़ जाने की वजह से शुल्क 900 रुपये हो गया है। बच्चे स्किल सीखते हैं तो पैसा मायने नहीं रखता है। किसी भी दुकान से किताबें खरीदी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावक और छात्र को गलतफहमी हुई है तो वह माफी मांगते हैं।

जांच करने जाऊंगा
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेंद्र सिंह बैंस ने कहा कि स्कूल की शिकायत आई है कि बच्चे पर किताबें लेने का दबाव बनाया गया था। अभिभावक द्वारा जन सुनवाई में आवेदन दिया गया है। वह स्वयं स्कूल जाकर मामले की जांच करेंगे। दोषी पाए जाने पर स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और प्रशासन को अवगत कराया जाएगा।
नरेंद्र सिंह बैंस, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी

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