एमपी: दमोह जिला न्यायालय में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर के नाम पर वसूले जा रहे थे 200 रुपये

दमोह जिला न्यायालय में आयुष विभाग की दवा के नाम पर एक संस्था की दो युवतियां अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य की निशुल्क जांच करने पहुंच गईं। अधिवक्ताओं के कक्ष में यह जांच शिविर शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही देर में इन युवतियों ने 200 रुपये फीस लेना शुरू कर दिया। इसका अधिवक्ताओं ने विरोध किया और इसकी जानकारी सीएमएचओ और आयुष विभाग के अधिकारियों को दी।

सूचना मिलते ही अधिकारी न्यायालय पहुंचे तो पता चला कि यह लोग फर्जी तरीके से यह आयुष की दवाओं को बेच रहे हैं, जिसे जब्त कर पुलिस को सूचना दी गई और मामले की जांच शुरू की गई।

अधिवक्ता नीतेश तिवारी ने बताया कि दो युवतियां जिला न्यायालय पहुंची थीं, जिनके द्वारा अधिवक्ता रूम में पहुंचकर सभी अधिवक्ताओं के स्वास्थ्य की निशुल्क जांच करने की बात कही गई थी। जिससे बड़ी संख्या में अधिवक्ता अपनी जांच करने पहुंच गए। वह अपने साथ एक मशीन भी लेकर आई थी, जिसमें बिना ब्लड की जांच किए इस मशीन के माध्यम से शरीर के केलोस्ट्रोल, बीपी और अन्य बीमारी संबंधी जांच रिपोर्ट दे रही थी, लेकिन इन लोगों के द्वारा 200 रुपये फीस लेना शुरू कर दिया तो उन्होंने विरोध किया।

बाद में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई और उनके पहुंचने पर पता चला कि कोई एमवायएल नाम की कंपनी है, जिसका प्रचार करने यह युवतियां आई थीं। यदि कंपनी का प्रचार है तो पैसा नहीं लिया जा सकता। जैसे ही अधिकारी पहुंचे तो इन युवतियों के द्वारा एक अधिवक्ता से अभ्रदता से बात कर दी, जिससे एक महिला अधिवक्ता ने विरोध किया और कहा कि हमारे सीनियर अधिवक्ता से इस तरह से बात नहीं कर सकते।

वहीं सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग से सीएमएचओ डॉ. सरोजनी जेम्स बैक और आयुष विभाग से डॉ. राजकुमार पटेल अपनी टीम के साथ जिला न्यायालय पहुंचे। सीएमएचओ डॉ. सरोजनी ने बताया कि यहां आने पर पता चला है कि यह लोग कोई आयुष प्रोडक्ट लेकर आए थे। कोई पंजाब की फैक्ट्री है, जिसकी यह दवाइयां लेकर आए थे। इनके पास किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं मिली है। इसलिए दवाइयों को जब्त कर जांच की जा रही है और इन युवतियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

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