एमआर-10 रोड पर बना टोल नाका 17 साल बाद बंद होगा। नाके की मियाद 19 जनवरी को खत्म हो गई थी, लेकिन कोरोना काल और नोटबंदी के समय टैक्स वसूली प्रभावित होने के कारण इंदौर विकास प्राधिकरण ने 86 दिन का अतिरिक्त समय दिया था।
जब ब्रिज का निर्माण हुआ था, तब वह नगर निगम सीमा के बाहर आता था, लेकिन 29 गांव नगर निगम में शामिल होने के बाद ब्रिज से एमपी-09 सीरिज के वाहनों से टोल टैक्स नहीं वसूला जाता था। दूसरे शहरों के वाहनों से वसूली की जा रही थी।
वर्ष 2004 के समय इंदौर विकास प्राधिकरण ने चंद्रगुप्त मोर्य प्रतिमा चौराहा से लवकुश चौराहा तक एमआर-10 रोड बनाया था। तब रेलवे पटरी पर ब्रिज बनाने का फैसला लिया गया। सिंहस्थ के समय यहां रेलवे क्रासिंग बनाया गया था। वर्ष 2008 में ब्रिज बनकर तैयार हुआ था और ब्रिज निर्माण करने वाली कंपनी को 17 साल के लिए टोल वसूलने का अनुबंध इंदौर विकास प्राधिकरण ने किया था।
तब ब्रिज के लिए टोल वसूलने का शहरवासियों ने विरोध भी किया था। सुपर काॅरिडोर बनने अौर इंदौर-उज्जैन रोड पर ट्रैफिक का दबाव बढ़ने के कारण इस टोल नाके पर जाम भी काफी लगने लगा था। टोल नाका बंद होने केे बाद इस मार्ग पर ट्रैफिक जाम से भी मुक्ती मिलेगी।
छहलेन बन सकता है ब्रिज
चंद्रगुप्त मोर्य प्रतिमा चौराहा से देपालपुर रोड तक इंदौर विकास प्राधिकरण ने दस लेन सड़क बनाई है। सुपर काॅरिडोर पर दूसरा ब्रिज आठ लेन का बना है,लेकिन 17 साल पहले फोरलेन ब्रिज बना था,क्योकि जब इंदौर विकास प्राधिकरण की आर्थिक हालत ठीक नहीं रहती थी। टोल नाका समाप्त होने के बाद अब ब्रिज को छह लेन बनाया जा सकता है।