महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने में मात्र पांच दिन बाकी है, वहीं इससे पहले राज्य के औरंगाबाद हाईकोर्ट बेंच के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका के अनुसार, राज्य के 12 लाख से ज्यादा मजदूर गन्ना कटाई-पेराई के लिए अपने गृह जिले से अन्य जिलों में जा चुके हैं। इसे लेकर चुनाव आयोग से मांग की गई है कि इन मजदूरों को मतदान से वंचित नहीं किया जाए और इनके लिए कोई उचित व्यवस्था की जाए।
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र, और विदर्भ के 12 लाख से ज्यादा गन्ना काटने वाले मजदूर आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में 20 नवंबर को मतदान करने से वंचित हो सकते हैं। महाराष्ट्र गन्ना काटने वाले और परिवहन संघ के अनुसार, गन्ना पेराई का सीजन 15 नवंबर से शुरू हो रहा है, जिसके कारण इन जिलों के लाखों मजदूर पश्चिमी महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के गन्ना बेल्टों में पहले ही जा चुके हैं।
औरंगाबाद हाई कोर्ट बेंच का संघ ने खटखटाया दरवाजा
इसे लेकर संघ ने औरंगाबाद हाई कोर्ट बेंच का दरवाजा खटखटाया है और चुनाव आयोग से इस बड़े वोटर समूह को वोटिंग के अधिकार से वंचित न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। वहीं वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने कहा है कि इन मजदूरों को वोटिंग के लिए उनके घर भेजने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वे 20 नवंबर को मतदान कर सकें।
अप्रैल या मई 2025 तक वापस नहीं आते मजदूर- संघ
संघ के अध्यक्ष जीवन राठौड़ ने अपनी याचिका में कहा कि मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ के 12-15 लाख गन्ना काटने वाले मजदूर पेराई सीजन से पहले ही पश्चिमी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के गन्ना बेल्टों में काम के लिए चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय सीजन चल रहा है, और बड़ी संख्या में मजदूर अपने घरों से दूर चले गए हैं और वे अप्रैल या मई 2025 तक वापस नहीं आएंगे। जीवन राठौड़ ने चिंता जताई कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों के मतदान से अनुपस्थित रहने पर भागीदारी आधारित लोकतंत्र का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
उनकी याचिका में चुनाव आयोग से आग्रह किया गया है कि वह डाक मतपत्र या परिवहन की व्यवस्था करके इन प्रवासी मजदूरों को उनके गृहस्थानों में वोट करने की सुविधा प्रदान करें। उन्होंने राज्य के चीनी आयुक्त को भी निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वे राज्य के चीनी मिल संघों के साथ मिलकर चुनाव के दिन इन मजदूरों के लिए अवकाश घोषित करें।
देश का एक प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य है महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में 200 से अधिक निजी और सहकारी चीनी मिलें हैं, और राज्य ने पिछले वर्ष लगभग 110 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। याचिकाकर्ता के वकील सुनील राठौड़ ने बताया कि अदालत ने यह जानना चाहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए मतदान की क्या व्यवस्था है, और सुझाव दिया कि गन्ना काटने वाले मजदूरों के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था पर विचार किया जा सकता है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी थोंबरे ने आश्वासन दिया कि मजदूरों को उनके मतदान अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा और उनके गृहनगरों में लाने की व्यवस्था की जाएगी।