आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के अनुकूल विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप रोधक समाधान किया विकसित

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के अनुकूल एक ऐसा मिश्रित पदार्थ विकसित किया है, जिसमें केनाफ फाइबर और एचडीपीई को मिलाया गया है। साथ ही इसमें कार्बन नैनोट्यूब भी शामिल है। यह पदार्थ उत्कृष्ट विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप अवरोधकों के गुणों को प्रदर्शित करता है और साथ ही साथ इसका दोबारा उपयोग भी किया जा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने विभिन्न उपयोगों के लिए बनाए गए जैव अपघटनीय प्राकृतिक फाइबर से बने मिश्रित पदार्थ विकसित किए हैं, जो खासतौर पर विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप रोकने में कारगर साबित होंगे। वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक रेशों से बना ऐसा पदार्थ बनाया है जो खुद नष्ट हो जाता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इसे कई तरह के कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। खासतौर पर बिजली के दखल को रोकने में यह काफी फायदेमंद साबित होगा।

कंपोजिट को मिलाकर मजबूत सामग्री बनाना कोई नई बात नहीं है। प्राचीन काल से ही लोग दो या उससे ज्यादा कंपोजिट को मिलाकर मजबूत सामग्री बनाते आ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, पुराने जमाने में ईंट बनाने के लिए मिट्टी और सूखी घास को मिलाया जाता था। आजकल पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्राकृतिक रेशों जैसे जूट और गांजे से बनी कंपोजिट सामग्री फिर से लोकप्रिय हो रही हैं। इनका इस्तेमाल कई तरह के उद्योगों में किया जा सकता है।

कुछ समय से कंपोजिट सामग्री का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सुरक्षित रखने में भी किया जा रहा है। आसान भाषा में कहे तो बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होने से एक तरह का प्रदूषण पैदा होता है, जिसे विद्युत चुंबकीय दखल कहते हैं। यह विद्युत चुंबकीय दखल रडार, सेना के उपकरणों और इंटरनेट के काम को खराब कर सकती है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस दखल से बचाने के लिए ईएमआई रोधक पदार्थों की जरूरत होती है और यही काम अब मिश्रित समग्र सामग्री से हो रहा है।

आईआईटी मंडी और फिनलैंड के वीटीटी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मिलकर एक खास तरह के कंपोजिट मटेरियल बनाए हैं। इस टीम का नेतृत्व आईआईटी मंडी के मैकेनिकल और मटेरियल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पाठक और डॉ. सनी जफर कर रहे हैं। साथ में आईआईटी मंडी के रिसर्च स्कॉलर आदित्य प्रताप सिंह और फिनलैंड के वीटीटी रिसर्च सेंटर के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सिद्धार्थ सुमन भी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इन वैज्ञानिकों का लक्ष्य ऐसे कंपोजिट मटेरियल बनाना है जो न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को विधुत चुंबकीय दखल (ईएमआई) से बचाए, बल्कि पर्यावरण को नुक्सान होने से भी रोकें।

इसके लिए टीम ने एक विशेष प्रकार का कंपोजिट बनाया है, जिसमें केनाफ फाइबर के तंतु और उच्च घनत्व वाली पॉलिथीन शामिल है। केनाफ फाइबर एक प्राकृतिक तंतु है, जो मजबूत और हल्का होता है, इसलिए यह कंपोजिट को मजबूती देने का बेहतरीन काम करता है। इससे बनी चीजें अधिक मजबूत होती हैं और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचती हैं। साथ ही एचडीएफ एक आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक है जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इस कंपोजिट को और भी पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।

विधुत चुंबकीय तरंगों को रोकने के लिए इस कंपोजिट को बिजली का सुचालक होना चाहिए। इसलिए वैज्ञानिकों ने इस कंपोजिट में कार्बन नैनोट्यूब का इस्तेमाल किया है ताकि यह बिजली का सुचालक बन जाए। डॉ. हिमांशु पाठक ने बताया कि दीर्घकालिक भविष्य के लिए ऐसे आविष्कारों की जरूरत है जो चीजों को बेहतर तो बनाएं ही, साथ ही पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए। हमारी टीम का यह काम टेक्नोलॉजी के विकास को पर्यावरण की ज़िम्मेदारी के साथ जोड़ता है।

पहले ईएफआई रोकने के लिए धातुओं का इस्तेमाल होता था, लेकिन इनमें कुछ कमियां थीं, जैसे यह बहुत मोड़े नहीं जा सकते थे, ज्यादा वजनी होते थे और जंग लगने का खतरा रहता था। पिछले कुछ दशकों में रिसर्च करने वाले इन कमियों को दूर करने के लिए प्लास्टिक के कंपोजिट पर ध्यान दे रहे हैं। यह प्लास्टिक के कंपोजिट लचीले और हल्के होते हैं। इसके साथ इन्हें आसानी से किसी भी आकार में बनाया जा सकता है, और यह ज्यादा रसायनों के संपर्क में आने पर भी खराब नहीं होते। साथ ही इन्हें बड़ी मात्रा में बनाना भी आसान है।

डॉ. सनी जफर ने कहा कि इस कंपोजिट में बहुत सी संभावनाएं हैं और इसका असल जिंदगी में कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डिब्बों से लेकर हवाई जहाजों में सामान रखने की जगहों और ड्रोन तक में किया जा सकता है। यह नया कंपोजिट पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है। इसलिए यह आज के जमाने की चुनौतियों को हल करने में और पर्यावरण की रक्षा करने में बहुत मददगार साबित हो सकता है।

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