गाय के गोबर से कलात्मक वस्तुएं बनाकर सागर की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। गोबर से दीवाल पर टांगने वाली घड़ियां बनाई जा रही हैं। मोमेंटो बन रहे हैं। मालाएं बन रही हैं। इतना ही नहीं, सागर की 3000 से अधिक महिलाओं की आय का साधन बन गया है गाय का गोबर। इससे बनी कलात्मक वस्तुओं की बाजार में भी खूब मांग हो रही है। कुछ उत्पाद तो विदेश तक जा रहे हैं।
सागर में महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए यह एक तरह का अभियान ही है। महिलाएं औसतन तीन हजार रुपये प्रतिमाह और कुछ तो छह से दस हजार रुपये प्रतिमाह भी कमा रही हैं। इसी काम से जुड़ी आकांक्षा नामदेव ने बताया कि हमें गोबर से कलात्मक वस्तुएं बनाने की जानकारी मिली तो प्रशिक्षण लिया। अब हम लोग घड़ी और मोमेंटो बनाते हैं। इसके लिए हमें सामग्री मिल जाती है। हम घर पर ही अपने काम से समय निकालकर गोबर से कलात्मक वस्तुओं को बनाते हैं और फिर संस्था को दे देते हैं। शहर की एक समिति ने इन महिलाओं को जोड़े रखा है। समिति की अध्यक्ष सुनीता जैन ने बताया कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए यह पहल की गई है। अब तक तीन हजार से अधिक महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। अब तक महिलाओं ने 1,500 घड़ियां, 8,000 मोमेंटो और 6,000 से अधिक माला बनाई हैं। देश-विदेश के बाजारों में यह उत्पाद भेजे जा रहे हैं। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल भी हो रहा है।
ऐसे बनाते हैं कलात्मक उत्पाद
गौशाला से गोबर लिया जाता है और उसे सुखाया जाता है। उसके बाद मशीनों की मदद से उसे बारीक किया जाता है। आवश्यकतानुसार मिट्टी मिलाई जाती है। गोबल एवं अन्य जैविक सामग्री मिलाकर छह-छह किलो के पैकेट्स तैयार होते हैं। इन्हें ही महिलाओं को दिया जाता है। सांचे की मदद से निश्चित आकार दिया जाता है। सूखने के बाद कंडों की अच्छी से घिसाई और कटिंग होती है। इसके बाद गोंद और प्लाई की मदद से जोड़ा जाता है। रंग, कांच आदि का इस्तेमाल कर उसे सजाया जाता है। छह आकार की घड़ियां और कई आकार के मोमेंटो बनाए जा रहे हैं। इसमें कंप्यूटर की मदद से डिजाइन भी बनाए जाते हैं।
तीन से चार हजार रुपये प्रतिमाह कमाई
पूजा प्रजापति ने कहा कि मैं पढ़ाई करने के साथ ही गोबर के आइटम बना रही हूं। गोबर की घड़ियां, मोमेंटो बनाती हूं। रोज दो से तीन घंटे काम कर महीने के तीन-चार हजार रुपये कमा लेती हूं। इसी तरह आकांक्षा नामदेव ने कहा कि समिति से घर पर सामग्री दी जाती है। घर का काम करने के बाद वक्त मिलते ही कलात्मक वस्तुएं बनाती हूं। मैं भी तीन से चार हजार रुपये कमा लेती हूं।