तीनों सेनाओं की निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए 32 हजार करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से 31 प्रिडेटर ड्रोन खरीदने और उनके लिए भारत में मेंटिनेंस, रिपेयर एवं ओवरहाल (एमआरओ) केंद्र स्थापित करने के समझौते पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए जाएंगे। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने पिछले हफ्ते 31 प्रिडेटर ड्रोन खरीद को स्वीकृति प्रदान की थी।
कुल 31 में से 15 ड्रोन नौसेना को मिलेंगे और आठ-आठ ड्रोन थलसेना व वायुसेना को मिलेंगे। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका के साथ विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए जाएंगे। सैन्य और कारपोरेट अधिकारियों की अमेरिकी टीम इन अनुबंधों पर हस्ताक्षर के लिए राजधानी में हैं।
कई वर्षों से चल रही थी चर्चा
उन्होंने बताया कि संयुक्त सचिव एवं नौसेना प्रणालियों के लिए खरीद प्रबंधक समेत भारतीय रक्षा अधिकारी हस्ताक्षर समारोह में मौजूद रहेंगे। भारत कई वर्षों से अमेरिका के साथ इस सौदे के लिए चर्चा कर रहा है, लेकिन अंतिम बाधाएं कुछ हफ्ते पहले हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में दूर हुईं क्योंकि इसे 31 अक्टूबर से पहले स्वीकृति दी जानी थी, इसकी वजह यह है कि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता इसी तिथि तक है।
यहां हो सकती तैनाती
भारत संभवत: चार स्थानों पर ड्रोन तैनात करेगा, जिनमें चेन्नई के पास आइएनएस राजाली, गुजरात में पोरबंदर, उत्तर प्रदेश में सरसावा व गोरखपुर शामिल हैं।
अल कायदा पर कहर बरपा चुका प्रिडेटर ड्रोन
प्रिडेटर बेहद घातक ड्रोन है। यह 1900 किमी तक के क्षेत्रफल में निगरानी करने में सक्षम है। वहीं 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। भारत सबसे आधुनिक वर्जन को खरीदने जा रहा है। अमेरिकी सेना ने प्रिडेटर ड्रोन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में खूब किया। अल कायदा के खिलाफ कई मानवरहित मिशन में इन ड्रोनों ने खूब तबाही मचाई। लादेन की तलाश में भी इसी ड्रोन का अमेरिका ने इस्तेमाल किया था। अल कायदा नेता अल जवाहिरी भी इसी ड्रोन के हमले में मारा गया था।
प्रिडेटर ड्रोन की खास बातें
- प्रिडेटर ड्रोन 2100 किलो तक का भार उठा सकता है।
- यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है।
- प्रिडेटर ड्रोन किसी भी मौसम में हवा, जमीन और समुद्र से हमला करने में सक्षम है।
- ड्रोन का इस्तेमाल हमला करने और खुफिया निगरानी में किया जा सकता है।
- यह ड्रोन मिसाइल दागने में भी सक्षम है। स्वत: टेक ऑफ और लैंडिग की सुविधा है।
- करीब 50 हजार फुट से अधिक की उंचाई तक उड़ने में सक्षम है।