उज्जैन: रुद्राक्ष और गुलाब की माला पहनकर भस्मआरती में सजे बाबा महाकाल

अश्विन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का दिव्य स्वरूप में शृंगार हुआ। इस दौरान बाबा महाकाल को रुद्राक्ष और गुलाब के फूलो की माला से शृंगारित किया गया। जिसने भी इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया वह देखते ही रह गया। 

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि अश्विन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आज यानी बुधवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद सबसे पहले भगवान का स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। बुधवार को बाबा महाकाल का अलौकिक शृंगार किया गया। उन्हें मुकुट पहनाया गया कि सब देखते ही रह गए। साथ ही रुद्राक्ष और गुलाब की माला भी पहनाई गई फिर महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। श्रद्धालुओं ने नंदी हॉल और गणेश मंडपम से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती के दर्शन किए और भस्म आरती की व्यवस्था से लाभान्वित हुए। श्रद्धालुओं ने इस दौरान बाबा महाकाल के निराकार से साकार होने के स्वरूप का दर्शन कर जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया।

श्री महाकालेश्वर मंदिर हाटपीपलीया के पास प्रकाश सोनी संध्या आरती में सम्मिलित हुए। संध्या आरती के उपरान्त प्रकाश सोनी द्वारा मंदिर फोटोग्राफर अनिकेत सेन की प्रेरणा से रुपये 5000 की नगद राशि भेट की गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के संध्या आरती प्रभारी जितेंद्र पवार द्वारा दानदाता को रसीद प्रदान कर उनका सम्मान किया गया।

पुस्तक का विमोचन
श्री महाकाल मंदिर की अपनी एक परम्परा और इतिहास रहा है। उत्तरप्रदेश के नोएडा निवासी पिंकी राज शाह ने महाकालेश्वर मंदिर के महेश पुजारी के मार्गदर्शन से बाबा महाकाल के दर्शन से प्राप्त अनुभूति को एक पुस्तक ‘महाकाल एक अविस्मरणीय अनुभव’ के माध्यम से संकलित किया है। पुस्तक का विमोचन श्री महाकालेश्वर मंदिर के नंदीमंडपम में महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़, सहायक प्रशासक मूलचंद जुनवाल, विधायक प्रतिनिधि जगदीश पांचाल व पुस्तक के प्रेरणास्रोत महेश पुजारी द्वारा किया गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा लेखिका पिंकी राज शाह का सम्मान किया गया। पुस्तक में महाकाल मंदिर की परम्परा, पुजारियों की वंश परंपरा, एतिहासिक कालखंड की स्मृतियों का उल्लेख किया गया है। इस अवसर पर मुख्य रूप से विजय पुजारी, राजेश वर्मा, राजेश बैरागी, रूपेश मेहता, राम शर्मा, आशीष ठक्कर आदि उपस्थित थे।

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