
आईपीएल के 18वें सीजन के समापन के साथ ही पंजाब किंग्स की किस्मत एक बार फिर दगा दे गई। अहमदाबाद में मंगलवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में आसीबी ने उसे हराकर पहली बार आईपीएल ट्राफी जीती और पंजाब की टीम 11 साल बाद खिताब के इतने करीब आकर एक बार फिर चूक गई।
2008 से लेकर 2025 तक पंजाब की टीम ने फ्रेंचाइजी का नाम (किंग्स इलेवन पंजाब से पंजाब किंग्स) बदला, इन 18 सालों में 17 कप्तान बदले, लेकिन टीम का भाग्य नहीं बदल सका। पंजाब के पहले कप्तान युवराज सिंह थे, जिन्होंने टीम को नई पहचान दी। उनकी कप्तानी में टीम ने 2008 में सेमीफाइनल तक सफर तय किया। इसके बाद जैसे कप्तानी की अदला-बदली का खेल शुरू हो गया।
युवराज के बाद महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा, एडम गिलक्रिस्ट, डेविड मिलर, डेविड हसी, जार्ज बेली, मुरली विजय, ग्लेन मैक्सवेल, रविचंद्रन अश्विन, केएल राहुल, मयंक अग्रवाल और शिखर धवन जैसे कई खिलाडि़यों ने कप्तानी संभाली, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इनमें सबसे सफल कप्तान अगर देखा जाए तो 2014 में जार्ज बेली का नाम सबसे ऊपर आता है।
पंजाब किंग्स के कप्तान (2008-2025)
युवराज सिंह (2008-2009) 29 मैचों में 17 जीत।
कुमार संगकारा (2010) 13 मैचों में 3 जीत।
महेला जयवर्धने (2010) 1 मैच में कप्तानी।
एडम गिलक्रिस्ट (2011-2013) 34 मैचों में 17 जीत।
डेविड हसी (2012-2013) 12 मैचों में 6 जीत।
जार्ज बेली (2014-2015) 35 मैचों में 18 जीत। 2014 में टीम को फाइनल तक पहुंचाया।
वीरेंद्र सहवाग (2015) 1 मैच में कप्तानी।
डेविड मिलर (2016) 6 मैचों में 1 जीत।
मुरली विजय (2016) 8 मैचों में 3 जीत।
ग्लेन मैक्सवेल (2017) 14 मैचों में 7 जीत।
रविचंद्रन अश्विन (2018-2019) 28 मैचों में 12 जीत।
केएल राहुल (2020-2021) 27 मैचों में 11 जीत।
मयंक अग्रवाल (2022) 11 मैचों में 7 जीत।
शिखर धवन (2023-2024) 17 मैचों में 6 जीत।
सैम करन (2023) 11 मैचों में 5 जीत।
जितेश शर्मा (2024)1 मैच में कप्तानी।
श्रेयस अय्यर (2025)14 मैचों में 9 जीत, 4 हार, 1 टाई; टीम को फाइनल तक पहुंचाया।
जार्ज बेली रहे सफल कप्तान
ऑस्ट्रेलिया के इस ठंडे दिमाग वाले कप्तान ने पंजाब किंग्स को अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में लेकर जाते हुए फाइनल में पहुंचा दिया था। उस साल पंजाब ने आक्रामक क्रिकेट खेलते हुए लगभग हर टीम को धूल चटाई और फाइनल में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन अंतत: खिताब की उम्मीद टूट गई।
उसके बाद से पंजाब किंग्स के लिए कप्तानी रोलर-कोस्टर की तरह साबित हुई। केएल राहुल ने भी कप्तान के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया, उनका व्यक्तिगत खेल शानदार रहा और उनके नेतृत्व में पंजाब ने कई करीबी मैच जीते, लेकिन फिर भी टीम प्लेऑफ से आगे नहीं जा पाई। कप्तानी में बार-बार बदलाव ने टीम के तालमेल और आत्मविश्वास पर गहरा असर डाला।
अय्यर ने केकेआर को बनाया चैंपियन
पंजाब को अब किसी एक कप्तान पर लंबा भरोसा जताना होगा, ताकि वह खिलाड़ियों का भरोसा जीतकर एक स्थिर और मजबूत टीम कल्चर खड़ा कर सके। कप्तान और टीम प्रबंधन को चाहिए कि वे ड्रेसिंग रूम में स्थायित्व लेकर आएं और खिताब की राह आसान करें और इसमें श्रेयस अय्यर सबसे फिट बैठते हैं। केकेआर के 10 साल के खिताबी सूखे को पिछले बरस खत्म करने वाले श्रेयस अय्यर पंजाब किंग्स को पहली बार चैंपियन बनाने से बेहद मामूली अंतर से चूक गए।
उन्होंने खुद को एक ऐसे कप्तान के रूप में स्थापित कर लिया है जिसकी भारत को शायद भविष्य में आवश्यकता हो सकती है। अय्यर की अगुआई में पंजाब आने वाले समय में वो हासिल कर सकती है, जिसकी उसे 18 साल से तलाश है। धौनी और रोहित शर्मा के बाद अय्यर आईपीएल के तीन फाइनल में पहुंचाने वाले तीसरे कप्तान बन गए हैं। उनकी यह उपलब्धि बेहद ही खास है क्योंकि उन्होंने पिछले पांच सालों में तीन अलग-अलग फ्रेंचाइजी टीमों के साथ ऐसा किया है।