
बिलासपुर की गोबिंदसागर झील की तर्ज पर कांगड़ा के पौंग बांध में क्रूज चलाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है। अब यहां पर केवल शिकारा और पैडल बोट ही चल पाएंगे। 15 सितंबर के बाद पर्यटक यहां पर शिकारा की सवारी का लुत्फ उठा सकेंगे। शुरू में चार शिकारे चलाए जाएंगे। क्रूज या मिनी क्रूज को चलाने के लिए बड़ा बांध या समंदर की जरूरत रहती है लेकिन कांगड़ा में क्रूज को चलाने के लिए पर्याप्त जलक्षेत्र उपलब्ध नहीं है। चूंकि फतेहपुर और इंदौरा से सटे पौंग बांध का अधिकतर क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य में आता है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत वन्यजीव अभयारण्य में कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो सकती।
भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड ने कांगड़ा में जो पौंग बांध बनाया है, उसमें वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र के अलावा बहुत कम जमीन प्रदेश सरकार के पास है। यहां पर युवा सेवाएं एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एवं अलाइड स्पोर्ट्स के तहत वाटर स्पोर्ट्स सहित अन्य साहसिक गतिविधियां चलती हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बिलासपुर की तर्ज पर कांगड़ा के पौंग बांध में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की बंदिशों के चलते अब यहां पर शिकारा और पैडल बोट चलाने की ही योजना है। पर्यटन विकास विभाग ने संबंधित कंपनियों से शिकारा चलाने से संबंधित अनुबंध और अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। 15 सितंबर से पर्यटन कारोबार शुरू हो जाएगा।