
पंजाब में राशन कार्ड पर राजनीति नई नहीं है। 2022 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने नीले कार्ड धारकों की जांच के आदेश दिए थे। तीन करोड़ की आबादी में 1.50 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी होने पर मंत्री ने कहा था कई संपन्न लोगों ने नीले कार्ड (राशन कार्ड) बनवा रखे हैं और वे केंद्र सरकार की ओर दी जा रही दो रुपये किलो गेहूं और 20 रुपये किलो दाल खरीद रहे हैं।
अब एक बार फिर राशन कार्ड राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान का आरोप है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में आठ लाख से ज्यादा राशन कार्ड काटने की साजिश रची है। इससे प्रदेश में 32 लाख लोगों को राशन नहीं मिल पाएगा। पहले भी 23 लाख लोगों को वंचित किया जा चुका है। कुल 55 लाख लोग इस सुविधा से महरूम हो जाएंगे। मान का कहना है कि केंद्र के राशन कार्ड काटने के मानदंड गलत हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में 1.53 करोड़ लाभार्थी हैं, जिन्हें राशन कार्ड से सस्ता अनाज मिलता है। केंद्र ने इनकी पड़ताल करने को कहा है। सीएम के अनुसार 1.29 करोड़ लाभार्थियों की वेरिफिकेशन की जा चुकी है।
केंद्र ने आरोपों को किया खारिज
मुख्यमंत्री भगवंत मान के आरोपों को केंद्र सरकार ने पूरी तरह खारिज किया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कहा कि सीएम मान को सही तथ्य पेश करने चाहिए। केंद्र ने सिर्फ अयोग्य लाभार्थियों की पहचान करने के लिए कहा है। पंजाब सरकार अपना काम नहीं कर रही। जोशी के अनुसार लाभार्थियों की अनिवार्य ई केवाईसी का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। केंद्र सरकार केवल राज्यों को इसे लागू करने के लिए कह रही है। पंजाब में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1.41 करोड़ लाभार्थी हैं। इस अधिनियम के अनुसार पात्र लाभार्थियों की पहचान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने मंजूर किए गए 1.41 करोड़ लाभार्थियों में से किसी को भी नहीं हटाया है।