दिल्ली: जलवायु परिवर्तन का असर… नजफगढ़ झील में प्रवासी पक्षियों की संख्या घटी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि नजफगढ़ झील में एशियन जलीय पक्षी जनगणना (एडब्ल्यूसी) 2025 के आंकड़े चौकाने वाले हैं। इस वर्ष 3,650 जलीय पक्षी दिखे जबकि, 2024 में इनकी संख्या 6,004 थी। यह बीते चार साल में सबसे कम संख्या है।

आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) में जलवायु परिवर्तन व मानवीय दखल का प्रभाव साफ तौर देखा जा सकता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि नजफगढ़ झील में एशियन जलीय पक्षी जनगणना (एडब्ल्यूसी) 2025 के आंकड़े चौकाने वाले हैं। इस वर्ष 3,650 जलीय पक्षी दिखे जबकि, 2024 में इनकी संख्या 6,004 थी। यह बीते चार साल में सबसे कम संख्या है।

राहत की बात है कि इस झील में 82 प्रजातियों के पक्षियों की मौजूदगी देखी गई है। जबकि 2024 में 64 पक्षियों की प्रजातियों को देखा गया था। बढ़ता तापमान, मानसून और सर्दी की देर से दस्तक प्रवासी जलीय पक्षियों के प्रवास पर असर डाल रही है। यही नहीं, आर्द्रभूमि के आसपास बढ़ता अतिक्रमण, अवैध तरीके से मछली पकड़ना, कृषि के लिए अत्यधिक जल दोहन, नालों का पानी नदी व झील में छोड़ना व शहरीकरण सहित कई कारक इन्हें यहां आने से रोक रहे हैं।

82 प्रजातियों में से 36 स्थानीय और 46 प्रवासी प्रजातियों में 10 रेड-लिस्टेड संकटग्रस्त शामिल हैं। जबकि, 64 प्रजातियों में से 22 स्थानीय और 42 प्रवासी प्रजातियों में 12 रेड-लिस्टेड संकटग्रस्त पक्षी थे। ऐसे में वैश्विक जलवायु परिवर्तन का असर मध्य, उत्तरी एशिया के साथ रूस, साइबेरिया से लंबी दूरी तय कर प्रवासी पक्षियों के कुल प्रवास में देरी हुई है। देश में कम संख्या में इनका प्रवास हुआ है। विशेष रूप से नजफगढ़ झील में कुल संख्या में सबसे अधिक कमी आई। विशेषज्ञों का कहना है कि साहिबी नदी पर मसानी बैराज का निर्माण है, जिसने सूखे महीनों के दौरान आर्द्रभूमि को बनाए रखने वाले जल प्रवाह को काफी कम कर दिया है।

नजफगढ़ झील आंशिक रूप से हरियाणा का गुरुग्राम के जिला और दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिला में स्थित है। यह पानी पर निर्भर पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासी जलीय पक्षियों के आवास की स्थिति मानसून की बारिश पर निर्भर करती है। इस झील के पानी का मुख्य स्रोत साहिबी नदी थी।

बार-हेडेड गीज और ग्रेलैग गीज प्रवासी प्रजातियों में आई गिरावट : इस बार सेंट्रल एशिया से बार-हेडेड गीज, ग्रेलैग गीज, नॉर्थ एशिया से नॉर्दर्न शॉवलर, कॉमन टील, नॉर्दर्न पीनटेल, मध्य एशिया से गडवाल, यूरेशियन कूट, यूरेशियन वेगन व पूर्वी एशिया से ग्रेट कॉर्मोरेंट शामिल हैं। इसमें एडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षकों ने पाया कि बार-हेडेड गीज और ग्रेलैग गीज जैसी प्रवासी प्रजातियों में काफी गिरावट आई है। जबकि नॉर्दर्न शॉवलर और कॉमन टील में मामूली वृद्धि देखी गई है।

यही नहीं, संकटग्रस्त कॉमन क्रेन और ऑस्प्रे के दुर्लभ दृश्य बताते हैं कि झील में अभी भी समृद्ध पक्षी विविधता की संभावना है। हालांकि, पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि हरियाणा और दिल्ली दोनों में अधिकारियों के समन्वित प्रयासों के बिना नजफगढ़ झील पक्षियों की श्रृंखला को बनाए रखने की अपनी क्षमता खो सकती है। वहीं, एनजीटी का आदेश है कि इसे आर्द्रभूमि के संरक्षित घोषित किया जाए, लेकिन किसी भी सरकार ने अभी तक इसे संरक्षित स्थल के रूप में दर्जा देने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की है।

Related Articles

Back to top button