
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने पर विशेषज्ञों ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ लगाने और चीन को बचाने से अमेरिका को ही नुकसान हो सकता है। भारत पर टैरिफ लगाने से दोनों देशों के संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा।
भू-राजनीतिक और आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के खिलाफ इस हमले का भारत-अमेरिका संबंधों पर दूरगामी और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप की सहयोगी निक्की हेली ने एक लेख में कहा कि चीन को पछाड़ने के अमेरिकी विदेश नीति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को पटरी पर लाने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। भारत से मूल्यवान स्वतंत्र और लोकतांत्रिक साझेदार की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, न कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी की तरह। एशिया में चीनी प्रभुत्व के प्रतिकार के रूप में काम करने वाले एकमात्र देश के साथ 25 वर्षों की गति को रोकना एक रणनीतिक आपदा होगी।
उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका को अपनी महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से दूर ले जाने में मदद करने के लिए आवश्यक है और यह स्वतंत्र विश्व की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण परिसंपत्ति है। जबकि ट्रंप प्रशासन विनिर्माण को अमेरिका में वापस लाने के लिए काम कर रहा है। भारत उन उत्पादों के लिए चीन जैसे पैमाने पर विनिर्माण करने की क्षमता के मामले में अकेला है, जिनका उत्पादन यहां शीघ्रता से या कुशलता से नहीं किया जा सकता है, जैसे कि कपड़ा, सस्ते फोन और सौर पैनल। हेली ने कहा कि चीन के विपरीत लोकतांत्रिक भारत का उदय स्वतंत्र विश्व के लिए खतरा नहीं है और इसलिए भारत की शक्ति बढ़ने के साथ ही चीन की महत्वाकांक्षाएं कम होनी होंगी।
भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फरीद जकारिया ने अमेरिका भारत संबंधों को खराब करने के लिए ट्रंप की आलोचना की। जकारिया ने कहा कि ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए दंडात्मक टैरिफ अमेरिका की सबसे बड़ी विदेश नीति गलती थी। अगर ट्रंप अपना रुख बदल भी देते हैं, तो भी नुकसान हो चुका है। भारत का मानना है कि अमेरिका ने अपना असली रंग दिखा दिया है। वह अविश्वसनीय है और जिसे वह अपना दोस्त कहता है, उसके साथ क्रूरता करने को तैयार है। भारत को लगेगा कि उसे अपनी बाजी सुरक्षित रखनी होगी। रूस के साथ नजदीकी बनाए रखें और चीन के साथ सुलह करें।