पोष कृष्ण पक्ष की अष्टमी शनिवार पर भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को सूर्य, चंद्र और त्रिपुंड से ऐसा सजाया गया कि जिसने देखा देखते ही रह गया। इस दौरान पहले बाबा महाकाल का शृंगार किया गया। उसके बाद भस्म रमाई गई। इस दिव्य स्वरूप के दर्शन हजारों भक्तों ने किए। शृंगार देखते ही रह गए।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार सुबह हुई भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही मंदिर में सर्वप्रथम पुजारी और पुरोहितों ने भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय और बाबा महाकाल का जलाभिषेक किया। इसके बाद कपूर आरती की गई। फिर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से किया गया। भगवान को बिल्व पत्र अर्पित कर और मस्तक पर त्रिपुंड और त्रिनेत्र लगाकर शृंगारित करने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढंककर महानिवार्णी अखाड़े की ओर से बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का सूर्य, चंद्र और त्रिपुंड से शृंगार किया गया और मुकुट धारण करवाकर आभूषण भी पहनाए गए। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओ ने बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया। इससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।