यमुना में बढ़ता प्रदूषण का स्तर कैंसर को न्यौता दे सकता है। पिछले 30 सालों से चल रहे यमुना के पानी पर अध्ययन में काफी चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। इनमें दावा किया जा रहा है कि लंबे समय तक नदी के पानी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोग या इनके संपर्क में रहने वाले कई तरह के कैंसर के रोगी हो सकते हैं। एम्स सहित दूसरे संस्थान के विशेषज्ञ लगातार इनकी जांच कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की माने तो यमुना और हिंडन नदी में पानी की गुणवत्ता लगातार खराब हुई है और इसमें सुधार के लिए बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है। इनके पानी में औद्योगिक कचरे के अलावा, कीटनाशक, फर्टिलाइजर, सीवरेज सिस्टम का गंदा पानी होने की आशंका है। जो नदी के पानी में कार्सिनोजेन को बढ़ता है। यह ऐसा पदार्थ, जीव, या एजेंट है जो कैंसर पैदा करने में सक्षम होता है।
वहीं दिल्ली सरकार भी लगातार यमुना में औद्योगिक कचरे के बढ़ने को लेेकर सवाल उठा रही है। पानी को लेकर अध्ययन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यमुना के आसपास पेपर व शुगर मील हैं। इनका कचरा इसमें आता होगा। इसके अलावा फसलों के उत्पादन के दौरान इस्तेमाल होने वाले रसायन भी यमुना के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं।
आर्सेनिक बढ़ने से हो सकता है यह कैंसर
नदी के पानी में आर्सेनिक बढ़ने से त्वचा, फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर हो सकता है। इसमें लिवर (एंजियोसारकोमा), किडनी और अन्य कैंसर की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
पानी के 56 नमूने लिए गए थे
एक शोध के अनुसार, ऊपरी यमुना नदी के पानी में भारी धातु प्रदूषण, संबंधित जोखिम और संभावित स्रोतों की जांच के लिए विभिन्न प्रदूषण सूचकांक और रसायन विज्ञान विधियों का उपयोग किया गया। नदी जल के कुल 56 नमूने लिए गए। इनमें प्री और पोस्ट-मानसून सीजन में 28-28 नमूने एकत्र किए गए। इनमें 15 भारी धातुओं का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि प्रदूषण सूचकांक (HPI, NPI, HEI, और Cd) संकेत देते हैं कि निचले जलग्रहण क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश स्थान कम से मध्यम प्रदूषित हैं।
प्रदूषण से इन कैंसर की आशंका
– ब्लड कैंसर
– ब्लैडर का कैंसर
– रेक्टल कैंसर
– जीआई कैंसर
– ब्रेस्ट कैंसर
– गॉल ब्लैडर कैंसर
दिखे यह लक्षण तो हो जाएं सतर्क
– अल्सर हो, तिल में तेजी से बदलाव
– पेशाब में खून
– पेट के निचले हिस्से में दर्द हो
– बहुत ज्यादा थकान
– संक्रमण