
हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी पर प्रस्तावित और चल रहीं जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में आईं प्राकृतिक आपदाओं, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अब इन परियोजनाओं के नियमों को और सख्त किया जाएगा।
ऊर्जा निदेशालय नई व्यवस्था के तहत ब्यास नदी और उसकी सहायक नदियो पर बनने वाली हर नई परियोजना से पहले पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव का विस्तृत अध्ययन करेगा। अध्ययन में नदी के प्रवाह, आसपास की वनस्पति, जल-जीवों, स्थानीय आबादी के जीवनयापन और पर्यटन पर पड़ने वाले प्रभावों की गहराई से जांच की जाएगी। अब तक परियोजनाओं को मुख्य रूप से उत्पादन क्षमता और तकनीकी पहलुओं के आधार पर मंजूरी दी जाती थी, लेकिन अब आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन को प्राथमिकता दी जाएगी। विशेषज्ञों की एक टीम ऊर्जा निदेशालय के माध्यम से प्रत्येक प्रस्तावित परियोजना पर वैज्ञानिक और सामाजिक रिपोर्ट तैयार करेगी। ऊना निदेशालय की ओर से करवाए गए अध्ययन के अनुसार ब्यास नदी पर अधिक परियोजनाओं से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव बढ़ रहा है। 2022 से 2024 के बीच किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि जहां ज्यादा परियोजनाएं हैं, वहां मछलियों की प्रजातियों में 28 फीसदी तक कमी आई है। मानसून के दौरान अनियंत्रित पानी छोड़ने की प्रक्रिया ने निचले इलाकों में बाढ़ के खतरे को भी बढ़ा दिया है।