पिता जगबीर हुड्डा बोले कि बेटी पर गर्व है। जिले और हरियाणा का मान बढ़ाया है। 76 किलो भार वर्ग में रीतिका से ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाने की उम्मीद है।
पिछले महीने की 14 तारीख को रीतिका खरकड़ा के अस्थल बोहर स्थित घर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुभकामना पत्र आया। मोदी ने रीतिका को संबोधित करते हुए लिखा था- पेरिस ओलंपिक के मंच पर तुम्हारी प्रतिभा के प्रदर्शन का दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है। रीतिका ने प्रधानमंत्री के साथ लाखों रोहतकवासियों की उम्मीदों को कायम रखते हुए शनिवार को कुश्ती के 76 किलोवर्ग में देश के लिए पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल कर लिया। साक्षी मलिक के ओलंपिक में पदक जीतने के बाद रीतिका हुड्डा देश के लिए ओलंपिक में पदक हासिल कर जिले से दूसरी खिलाड़ी पहलवान बेटी बन सकती हैं।
किर्गिस्तान के बिम्सटेक में शनिवार शाम को अपनी प्रतिद्वंद्वी चीनी ताइपे की रेसलर को 7-0 के बड़े अंतर से परास्त कर रीतिका ने जैसे ही एशियाई क्वालीफायर चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई, उन्होंने देश के लिए ओलंपिक का कोटा भी हासिल कर लिया है। इसके साथ ही हैवी वेट कुश्ती में ओलंपिक का कोटा हासिल करने वाली देश की पहली महिला पहलवान बनने का गौरव भी उसने हासिल कर लिया है।
उसकी सफलता से खुश सेना से सेवानिवृत्त हवलदार पिता जगबीर हुड्डा, माता और भाई समेत पूरा शहर खुशी से झूम उठा। पिता को बधाई के फोन आने लगे और घर में जश्न का माहौल बन गया। शनिवार देर शाम आस-पड़ोस के लोगों का हुजूम उनके घर पर पहुंच गया। परिजनों ने लोगों को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी साझा की। जगबीर हुड्डा ने कहा कि बेटी ने ओलंपिक में जगह बनाकर सभी का मान बढ़ाया है।
अंडर-23 में विश्व विजेता होने का गौरव
पिछले साल ही रीतिका ने अंडर-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में विजेता बनने का गौरव पाया था। यह उपलब्धि हासिल करने वाली रीतिका पहली खिलाड़ी है। आठ साल बाद शहर के छोटूराम स्टेडियम अखाड़ा की दूसरी महिला पहलवान के रूप में रीतिका ओलंपिक में खेलने जा सकती हैं। इससे पूर्व साक्षी मलिक ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर हरियाणा का नाम रोशन किया था। रीतिका से 76 किलो भार वर्ग में ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लाने की उम्मीद है।
बड़े भाई को हराने के साथ शुरू हुई कुश्ती
रीतिका कक्षा नौवीं तक वॉलीबॉल की खिलाड़ी रही है। घर में बड़े भाई रोहित हुड्डा को खेलकूद के दौरान चित कर देने वाली रीतिका की प्रतिभा को पिता ने देखा तो उसे कुश्ती खेलने के लिए प्रेरित किया। उसको बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए वह खरकड़ा से अस्थल बोहर में रहने आ गए और रीतिका के प्रशिक्षण की व्यवस्था संभाल ली। इसके बाद से वह कुश्ती खेल रही है। पहली बार 15 अगस्त 2020 को वह अखाड़े में गई थी। पिता जगबीर हुड्डा ने कहा कि बड़ा बेटा रोहित सेना में है। वह कुश्ती व कबड्डी खेलता है। रीतिका के परदादा चौधरी अमर सिंह पहलवान थे। पिता खुद भी फुटबॉल व हॉकी के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं।
कोच बोले- इतिहास दोहरा रही रीतिका
छोटूराम स्टेडियम अखाड़ा के कोच मनदीप ने बताया कि रीतिका इतिहास दोहराने जा रही है। वर्ष 2016 में इसी अखाड़े से निकलीं साक्षी मलिक ओलंपिक में खेलने गई थी। वहां से देश के लिए कांस्य पदक जीतकर वापस आई थीं साक्षी। अब एक बार फिर इस अखाड़े की दूसरी बेटी ओलंपिक में उतरने जा रही हैं। इससे देश के लिए स्वर्ण पदक लाने की पूरी उम्मीद है। इनका खेलने का तरीका और समर्पण बहुत खास है। यह जुझारू खिलाड़ी आखिरी समय तक संघर्ष करने से नहीं चूकती हैं। यही खासियत उससे पदक की उम्मीद जगाती है।